राम नवमी विशेष : राम मानव जीवन के परम आदर्श रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी लिखते हैं बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को॥ बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो॥ अर्थात् मैं श्री...
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भाग्य रेखा
“समय से पहले एवं भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता”, Not before Time and not more than Fate. अतः यह प्रारब्ध (भाग्य) क्या है? ज्योतिष शास्त्रा द्वारा इसे किस प्रकार जाने? आइये ज्योतिष की प्रामाणिक व सरल विधि...
नक्षत्र और वर-वधू का चयन
विवाह द्वारा दो भिन्न व्यक्तित्व एक सूत्र में बंधते हैं, जिन्हें जीवन भर एक-दूसरे के पूरक के रूप में साथ निभाना पड़ता है। पति-पत्नी जीवन रूपी रथ के दो पाहिए हैं। यदि इनमें से एक पहिए के गुण दूसरे पहिए के गुणों से भिन्न...
सूर्य आदि ग्रह पीड़ा हेतु औषधि स्नान
ज्योतिष शास्त्र में अनेक ग्रहों के ग्रह दोष शान्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ को का विधान है। इनके चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिले हैं। इन औषधियों को प्रयोग करने से पहले दिन रात्रि में गंगा जल में डाल कर रखें।...
विशिष्ट राजयोग
जन्मपत्रिका में उपस्थित विभिन्न योगों के कारण व्यक्ति अमीर, गरीब, मंत्री, उच्च पद और संकटों इत्यादि से घिरा रहता है। अलग अलग दशाकाल में उसके अलग अलग प्रभाव देखने को मिलतें है। जन्मपत्रिका में केन्द्र भावों और त्रिकोण...
जाने भविष्य और बीमारी, नाखूनों से
भारतीय सामुद्रिक शास्त्र में शरीर लक्षण और शारीरिक बनावट के आधार पर व्यक्ति का व्यक्तित्व और भविष्य कथन करने की परम्परा सदियों से चलती आ रही हैं। मनुष्य के सौन्दर्य में नाखूनों का विशेष योगदान है तथा नाखूनों के द्वारा...
दीपावली पूजन की विस्तृत विधि
हमारे देश में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टियों से अप्रतिम महत्त्व है। सामाजिक दृष्टि से इस पर्व का महत्त्व इसलिए है कि दीपावली आने से पूर्व ही लोग अपने घर-द्वार की स्वछता पर...
भगवत गीता में ज्योतिष
ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी रामसुखदास जी महाराज ने बहुत ही खूबसूरती से भगवत गीता को भारतीय ज्योतिष से जोड़ा है उनके अनुसार महाप्रलयपर्यन्तं कालचक्र प्रकीर्तितम्। कालचक्रविमोक्षार्थं श्रीकृष्णं शरणं व्रज॥ ज्योतिष में काल...
जन्मपत्रिका में देखें कितने ऋणी है आप ?
कुंडली में दुषित ग्रहों के कारण जातक कई प्रकार से ऋणी होता है अर्थात कई प्रकार के ऋण भार जातक के उपर रहते हैं, जिसके कारण जातक के जीवन का विकास अवरुद्ध हो जाता है। क्योंकि दुषित ग्रहों के दोषयुक्त प्रभाव से शुभ ग्रह भी...
पंचतत्व एवं सृष्टि की रचना
भारतीय सनातन में प्राचीन ग्रंथों के अनुसार – जब सृष्टि की रचना प्रारम्भ होती है तब अव्यक्त से सृष्टि के सब व्यक्त पदार्थ उत्पन्न होने लगते हैं। इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम ‘चैतन्य आकाश’ में स्पन्द हुआ। उस स्पन्द से...
रहस्य सिद्धि – साधना पथ पर चमत्कार का मोल
रहस्य सिद्धि भाग – 2 : चमत्कार साधना पथ पर चमत्कार क्या है ? जिन्दगी इतनी जटिल है कि वहाँ हमें जो बातें विरोधी दिखाई पड़ती हैं, वे भी ठीक हो जाती हैं। जिन्दगी वैसी नहीं है, जैसा हम उसके बारे में सोचते हैं या देखते...
मनोवाञ्छित पति-प्राप्ति के प्रयोग
प्रत्येक माता पिता की चिंता होती है की कन्या का विवाह समय पर हो और अच्छा वर प्राप्त हो ।आधुनिक युग में विवाह के लिए सही वर सही समय पर प्राप्त हो जाये यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है । पहले रिश्तेदार और समाज के लोग रिश्ते...
भारतीय प्राच्य विद्या
व्यवसाय तथा ग्रह
व्यवसायों के प्रकार का निर्णय ग्रहों को स्वरूप, बल आदि पर निर्भर करता है। जो ग्रह अत्यधिक बलवान् होकर लग्न, लग्नेश आदि आजीविका के द्योतक अंगों पर प्रभाव डालता है वह ग्रह आजीविका के स्वरूप अथवा प्रकार को जतलाने वाला...
भारतीय ज्योतिष और उसका इतिहास
अपना भविष्य जानने की अभिलाषा मनुष्य में प्राकृतिक एवं अनिवार्य हैं, यथा। वन समाश्रिता येपि निर्ममा निष्परिग्रहा:। अपिते परिपृच्छन्ति ज्योतिषां गति कोविदम्॥ ‘‘जो सर्वसंग परित्याग कर वन का आश्रय ले चुके हैं, ऐसे राग-द्वेष...
भाग्य रेखा
“समय से पहले एवं भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता”, Not before Time and not more than Fate. अतः यह प्रारब्ध (भाग्य) क्या है? ज्योतिष शास्त्रा द्वारा इसे किस प्रकार जाने? आइये ज्योतिष की प्रामाणिक व सरल विधि...
जीवन शैली
वास्तु शास्त्र
वास्तु विज्ञान : सुखमय जीवन हेतु
यह समस्त विश्व पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश इन पांच महातत्वों से निर्मित है। ये पंच महातत्व प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सजीव और निर्जीव पदार्थों को प्रभावित करते हैं। इन तत्वों का अन्य ग्रहों की अपेक्षा पृथ्वी पर अधिक...
कैसे हो ऋण मुक्ति
रूखा भोजन कर्ज सिर और बड़ का बोली नार। देते हैं मनुष्य को मार। क्योंकि ये सब पूर्व जन्म के पापों का पुरस्कार है। वास्तव में ऋण में फंसना अति सुगम है किन्तु निकलना अति दुर्गम इसलिए एक लोक कहावत है- कि ऋण में जो फंसता है...
वास्तुपुरुष मण्डल और उसपर उपस्थित देवतागण
ग्रंथों में वास्तुपुरुष के शरीर पर स्थित पैंतालीस देवता तथा उसके अतिरिक्त पद से बाहर स्थित देवताओं के बारे में बताया है। जैसा कि हम जानते हैं कि देवता शब्द संस्कृत की दिव् धातु से बना है। दिव् का अर्थ है प्रकाश या...
रमल ज्योतिष
रमल ज्योतिष में चोरी सम्बन्धी प्रश्न का हल
रमल ज्योतिष में प्रश्नों के चमत्कारिक और सटीक फलादेश दिया जाता हैl व्यावहारिक वैदिक ज्योतिष में आठवां भाव चोरी का होता है जिसके द्वारा एक ज्योतिषी कुछ बता पाता है l रमल ज्योतिष विज्ञान में चोरी सम्बन्धी प्रश्नों के भी...