प्राचीन काल में भवनों का निर्माण शास्त्रोक्त आधार पर किया जाता था अतः उनमें वास्तुदोष नगण्य होता था परन्तु वर्तमान में घटती भूमि तथा अन्य कारकों के कारण पूर्ण रूप से वास्तुदोष रहित भवन बनाना लगभग असंभव ही हो गया है। ऐसे में हमें कुछ ऐसे उपायों की आवश्यकता पड़ती है जिनकी सहायता से बिना अधिक तोड़-फोड़ किए वास्तु दोष को दूर किया जा सके।
वास्तुविद को वास्तु दोष दूर करने के लिए सर्वप्रथम भवन में उन दोषों पर ध्यान देना चाहिए जो अनिवार्य रूप से हटने चाहिए यथा
भूमि का ढाल किस ओर है, भूमि का ढाल उत्तर-पूर्व या पूर्व की ओर होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो दक्षिण-पश्चिम में थोड़ी मिट्टी डलवा कर इस दोष को आसानी से दूर किया जा सकता है। नैऋत्य तथा वायव्य (अर्थात् दक्षिण-पश्चिम) दिशा में भवन को ऊंचा बनाना चाहिए ताकि यह दोष पूर्ण रूप से समाप्त हो जाए।
इसके बाद भूखंड के मध्य पर ध्यान देना चाहिए। यदि वहां गड्डा है तो वहां भी मिट्टी भरवा दे अथवा भवन के शेष भागों के बराबर उसे ऊंचा उठा दें, इससे भी यह दोष दूर हो जाएगा।
भवन के ब्रह्मस्थान (अर्थात् मध्य का केन्द्र स्थान) पर निर्माण नहीं होना चाहिए। आज भी भारत के ग्रामों तथा पुराने शहरी भवनों में चौक को खुला छोड़ा जाता है। वहां पर निर्माण होने से परिवार की सुख-शांति भंग हो जाती है और वहां सदैव क्लेश का वास रहता है। अतः यहां पर कोई भी निर्माण हो तो उसे हटा देना चाहिए विशेष तौर पर कोई स्तम्भ, टॉयलेट या अन्य किसी प्रकार का सामान हो।
इसके अतिरिक्त अन्य कई दोष हैं जिन्हें आप आसानी से दूर कर सकते हैं। ये इस प्रकार हो सकते हैं-
- भवन में कहीं पर भी मकड़ी के जाले, कबूतर के घोंसले अथवा लाल चींटी के बिल आदि नहीं होने चाहिए। ऐसा होने पर तुरंत ही उन्हें हटाएं।
- भवन की दीवार में कई बार स्वतः ही पीपल, नीम या अन्य पौधे उग आते हैं। यह भी एक बहुत बड़ा वास्तु दोष है। इन पौधों को वहां से हटा कर किसी उपयुक्त स्थान पर रोप देना चाहिए।
- घर में अनुपयोगी कबाड़ सामान नहीं रखना चाहिए। ऐसा होना भवन में रहने वालों को धन तथा स्वास्थ्य की हानि कराता है। कबाड़, टूटा-फूटा सामान, बंद घड़ियां, अन्य अनुपयोगी सामान को तुरंत ही घर से बाहर निकाल देना चाहिए।
- भवन के मुख्यद्वार पर मांगलिक चिन्हों यथा स्वास्तिक, ऊँ, हाथ की छाप, मंगल कलश आदि लगाने चाहिए।
- इनके अतिरिक्त कुछ विशेष यंत्र जैसे मत्स्य यंत्र, दुर्गा यंत्र, इन्द्राणी यंत्र आदि को घर में रखने से वास्तु दोषों का निवारण होता है।
- प्रत्येक वर्ष घर में वास्तु शान्ति के निमित्त पूजा करवानी चाहिए। इससे भी वास्तु के समस्त दोष बिना किसी उपाय के स्वतः ही शांत हो जाते हैं।
- घर के मध्य में तुलसी का पौधा रखने से भी समस्त वास्तु दोष दूर होते हैं। तुलसी के अतिरिक्त घर में नारियल, श्वेत आर्क (सफेद आकड़ा) का पौधा भी वास्तु दोषों को दूर करने में सक्षम हैं।
- महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र या भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करने से भी वास्तु दोषों का निवारण होता है।