Category - Dharm

परमब्रह्म राम इस लोक व उस लोक के तारणहार

राम नवमी विशेष : राम मानव जीवन के परम आदर्श  रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी लिखते हैं बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को॥ बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो॥ अर्थात् मैं श्री...

भाग्य रेखा

“समय से पहले एवं भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता”, Not before Time and not more than Fate. अतः यह प्रारब्ध (भाग्य) क्या है? ज्योतिष शास्त्रा द्वारा इसे किस प्रकार जाने? आइये ज्योतिष की प्रामाणिक व सरल विधि...

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