मनोवाञ्छित पति-प्राप्ति के प्रयोग

प्रत्येक माता पिता की चिंता होती है की कन्या का विवाह समय पर हो और अच्छा वर प्राप्त हो ।आधुनिक युग में विवाह के लिए सही वर सही समय पर प्राप्त हो जाये यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है । पहले रिश्तेदार और समाज के लोग रिश्ते करवाते थे परन्तु आज के समाज में कोई भी किसी की इस प्रकार की मदद नहीं करता । इन्टरनेट पर वेबसाइट के जरिए शादियाँ हो रही है जो भी बहुत कठिन जान पड़ता है । समय पर अच्छे वर प्राप्ति के लिए कुछ शक्तिशाली मन्त्रों के प्रयोग यहाँ रमल शास्त्र ब्लॉग में दिए जा रहे है ।

मन्त्र :

शरणागत – दीनार्त – परित्राण – परायणे !

सर्वस्याति-हरे देवि!, नारायणि नमोस्तु ते॥

विधि : माँ दुर्गा जी के चित्र या मूर्ति के सामने एक छोटा – सा लकड़ी का पाटा रखे । उसके ऊपर 50 से 200 ग्राम चावल पर कुंकुम लगाकर रखें । चावल के ऊपर गाय के घी का एक दीपक रखे । घृत के दीपक की लौ पर ध्यान केन्द्रित करके कन्या उक्त मन्त्र का 108 बार ‘जप’ करे प्रति सप्ताह प्रत्येक मङ्गलवार प्रातः – काल करे। कन्या कुंकुम का तिलक स्वयं लगाए और माता जी को भी लगाए । लगातार 27 मङ्गलवार करे । प्रयोग-काल में या उसके बाद विवाह के अच्छे सम्बन्ध अवश्य आएंगे। यदि कभी देरी हो, तो ‘प्रयोग’ बन्द न करे।

उचित समय आने पर लग्न इत्यादि का सारा कार्य पूरा हो जाएगा। मङ्गल के अतिरिक्त अन्य दिनों में भी नित्य 108 बार ‘जप’ करते रहे । देवी के मन्दिरों में दर्शन करे। श्रद्धा से प्रार्थना करे। उत्तम पति अवश्य प्राप्त होगा। दीपक जब बुझ जाए, तब चावल को बाहर चबूतरे के ऊपर डाल दे। यह प्रयोग अनुभूत और सत्य है। ‘प्रयोग’ को यदि विशेष प्रभावी बनाना हो, तो मङ्गलवार को एक बार भोजन करे । गाय का दूध या फल ले । अथवा, प्रत्येक मगलवार को थोड़ा गुड़ और 1 रोटी गाय माता को खिलाए।

(2) मन्त्र :

ॐ मातंग्य विद्महे उच्छिष्ट – चाण्डालय धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात।

विधि : ‘गायत्री-मन्दिर’ या किसी भी ‘देवी-मन्दिर’ में कन्या स्वयं जाए और प्रति-दिन उक्त मन्त्र का 108 बार ‘जप’ करे। ऐसा 6 मास तक करे । यदि विलम्ब हो, तो भी श्रद्धा न छोड़े। मनोवाञ्छित पति ही मिलने वाला है – ऐसा विश्वास रखे। जब सम्बन्ध आए, तब संयोग के अनुसार कार्य करे ।

(3) मन्त्र :

सुनु सियें ! सत्य असीस हमारी।

पुरवहुँ मनोकामना तु म्हारी ॥

विधि : किसी भी शुक्ल पक्ष के किसी शुभ दिन से उक्त मन्त्र का जप प्रारम्भ करे । प्रति – दिन उक्त मन्त्र का 108 जप करे । जब तक कन्या को उत्तम पति प्राप्त न हो, तब तक मन्त्र-जप करता रहे । उत्तम प्रयोग है।

(4) मन्त्र :

ॐ क्लीं कुमाराय स्वाहा ।

(अथवा) ॐ क्लीं कुमाराय नमः स्वाहा ।

विधि : कन्या अपने निवास-स्थान में, इष्ट-देवी के सामने धूपदीप सहित उक्त मन्त्र का 10 माला ‘जप’ करे। इससे सुन्दर वर की प्राप्ति होगी। पहले प्रयोग की तरह यह प्रयोग भी अनुभूत है । श्रद्धा से करे । जब तक कार्य पूर्ण न हो, तब तक करे ।

(5) मन्त्र :

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्र-किरणाय मम वाञ्छितं देहि देहि स्वाहा।

विधि : नित्य-कर्म से निवृत्त होकर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, कन्या सूर्य महाराज को पहले नमस्कार करे। फिर चन्दन – मिश्रित चावल और सुगन्धित पुष्प सूर्य-देव को चार बार चढ़ाए। अन्त में नमस्कार करके उक्त मन्त्र का 1 माला ‘जप’ करे अथवा 108 बार ‘जप’ करे । गुड़ का नैवेद्य चढ़ाए। ‘रविवार’ को ‘व्रत’ रखे। बिना नमक का भोजन करे । शर्करा-युक्त दूध और चावल का भोजन करे ।

एक मास में कार्य सिद्ध हो जाता है । जब तक कार्य-सिद्धि न हो, तब तक मन्त्र का ‘जप’ करता रहे।

(6) मन्त्र :

कात्यायनि महा-माये, महा-योगिन्यधीश्वरि !

नन्द-गोप-स्तुतं देवि, पति मे कुरु ते नमः ॥

विधि : उक्त मन्त्र अत्यधिक प्रचलित व प्रभावी है। ‘देवीमन्दिर’ में अथवा अपने निवास में ‘प्रयोग’ करे। माता जी को धूपदीप-पुष्प-नैवेद्य चढ़ाए। नमस्कार करके उक्त मन्त्र की कम-से-कम 1 माला और अधिक से अधिक 10 माला का जाप करें ।

(7) मन्त्र :

हे गौरी, शंकर अर्धांगिनी, यथा त्वं शंकर प्रिया ।

तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त – कांता सुदुर्लभाम ।।

विधि :  प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर विवाह योग्य कन्या को शिव मंदिर जाना चाहिएl वहाँ माँ पार्वती जी का पूजन करके उनसे उपयुर्क्त वर प्राप्ति की कामना करने के उपरांत उक्त मंत्र की 1 से 5 माला का जाप नित्य करने से कन्या को उसके अनुसार योग्य और उत्तम पति की प्राप्ति होती है ।

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