ज्योतिष शास्त्र में अनेक ग्रहों के ग्रह दोष शान्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ को का विधान है। इनके चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिले हैं।
इन औषधियों को प्रयोग करने से पहले दिन रात्रि में गंगा जल में डाल कर रखें। अगले दिन प्रात:काल स्वच्छ कपड़े से छाल लें। इन औषधियों में और जल डालकर स्नान करना चाहिए। इस प्रकार करने से ग्रह शांत हो जाते है।
सूर्य की औषधियाँ
मनशिला, इलायची, देवदारु, केसर, खश, मुलठ्ठी तथा श्वेत पुष्प, रक्त कनेर, मधु अमलतास, कमल, कुंकुम, साठी चावल।
सूर्य स्नान का दिन ‘रविवार’ या सूर्य के ‘नक्षत्र’ (कृत्तिका, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा) में स्नान करें।
चन्द्रमा की औषधियाँ
पंचगव्य (दूध, दही, धृत, गोबर, मूत्र) गज (हाथी) मद, शंख, सिप्पी, श्वेत चंदन, स्फटिक, चाँदी, मोती, कमल।
चन्द्रमा के स्नान का दिन ‘सोमवार’ या चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त, श्रवण) में स्नान करें।
मंगल की औषधियाँ
बिल्व छाल, रक्त चंदन, धमनी, रक्त पुष्प, सिंगरफ, माल कंगनी, मौलसिरी, बेलफल, जटामांसी, हिगलू सोंठ, सौंफ
मंगल के स्नान का दिन “मंगलवार” या मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) में स्नान करें।
बुध की औषधियाँ
गोबर, अक्षत, फल, गोरोचन, मधु, मोती, सुवर्ण, सफेद सरसों, हरड़े, आंवला, जायफल।
बुध के स्नान का दिन बुधवार या बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) में स्नान करें।
बृहस्पति की औषधियाँ
मालती पुष्प, श्वेत सरसों, मुलहठी, मधु, मालती श्वेत पुष्य, दमयन्ती के पत्र, गुलर।
बृहस्पति के स्नान का दिन बृहस्पतिवार या बृहस्पति के नक्षत्र (पुनर्वसु विशाखा, पूर्वाभाद्रपदा) में स्नान करें।
शुक्रवार की औषधियाँ
इलायची, मनशिला, सृवृक्ष मूल, केशर, कुकुंम, कटहल, जायफल, मूली के बीज।
शुक्र के स्नान का दिन शुक्रवार या शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा) में स्नान करें।
शनि की औषधियाँ
काले तिल, सुरमा, लोबान, धमनी, सौफ, मुत्थरा, खिल्लां, शत पुष्पी, लोध, नागर मोथा, खस।
शनि के स्नान का दिन शनिवार या शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपदा) में स्नान करें।
राहु की औषधियाँ
लोबान, तिल पत्र, मुत्थरा, गज (हाथी) दन्त, कस्तूरी।
राहु के स्नान का दिन बुधवार या राहु के नक्षत्र के (आद्र्रा, स्वाती, शतिभिषा) में सायं काल 4 से 5 बजे स्नान करें।
केतु की औषधियाँ
लोबान, ति पत्र, मुत्थरा, गजदन्त, छागमूत्र।
केतु के स्नान का दिन बृहस्पतिवार या केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा, मूल) में स्नान करें।
सर्वग्रहाणां दोषोपशान्तये सामान्यमौषधिस्नानम् (सर्वग्रह का औषधि स्नान)
लाजवंती (छुईमुई) देवदारु, कटु, कांगनी, खिल्लां, जब सरसों, हल्दी, सवौंपधी, लौध, नागर मोथा, सरपंख।
इन सब औषधियों से स्नान करने से सर्वग्रह की पीड़ा शान्त होती है।