पंचक योग का निर्माण चन्द्रमा तथा चन्द्र नक्षत्र (अथवा राशि) के संयोग से होता है। गोचर में जब चन्द्रमा कुंभ राशि से मीन राशि तक विचरता है तो इस समय काल को पंचक कहा जाता है। इस दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों क्रमशः धनिष्ठा नक्षत्र का उत्तरार्ध, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र से गुजरता है। पंचक में किसी भी शुभ कार्य को करने की आज्ञा नहीं है।
पंचक पांच प्रकार के होते हैं- रोग, राज, अग्नि, चोर तथा मृत्यु। पंचक किस वार से आरंभ हो रहे हैं, इसी आधार पर उनका नामकरण किया जाता है। रविवार से आरंभ होने वाले पंचक को रोग पंचक, सोमवार से आरंभ होने वाले पंचक को राज पंचक, मंगलवार से आरंभ होने वाले पंचक को अग्रि पंचक, शुक्रवार को आरंभ होने वाले पंचक को चोर पंचक तथा शनिवार को आरंभ होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इनमें राज पंचक में जमीन-जायदाद तथा सरकार से जुड़े कामकाज करना शुभ माना गया है।