श्रीहनुमानजी के दर्शन और कामना पूर्ति हेतु प्रयोग
जिन लोगों के इष्ट श्रीहनुमान जी है और हनुमान चालीसा आदि का पाठ निरंतर करते है तो जान लीजिये श्रीहनुमान जी की कृपा आपके साथ है । कलयुग में श्रीहनुमान जी की कृपा से प्रयत्क्ष लाभ की प्राप्ति के अनगिनत उद्धरण है । फिर भी मन में यदि हनुमान जी के दर्शन लाभ की इच्छा हो तो हनुमत साधकों के लिए एक अनुभवजन्य अनुष्ठान का प्रयोग रमल शास्त्र पोर्टल पर आपके लाभार्थ लिख रहा हूँ जिसका लाभ सभी भक्तजन उठा सकते है । यह प्रयोग सिद्ध साधकों द्वारा समय समय पर अपने योग्य शिष्यों को बताया जाता रहा है । कल्याण के हनुमत अंक में भी इसी प्रयोग का वर्णन मिलता है ।
श्रीहनुमान जी के स्वप्न में दर्शन प्राप्त करने हेतु इस अनुष्ठान के कुछ सरल से नियम है और पूरा अनुष्ठान कुल 81 दिनों का है । इस अनुष्ठान को शुरू करने के लिए सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और रविवार को चुना जा सकता है । नवरात्री, गुप्त नवरात्री, दीपावली, दशहरा हो तो शुभ नहीं तो किसी भी शुक्ल पक्ष में उक्त वारों को देखकर शुरू करना चाहिए ।
अनुष्ठान के नियम इस प्रकार से है :
- पूरे अनुष्ठान काल में ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा ।
- नशा और मांसाहार से दूर रहना होगा ।
- अनुष्ठान काल में नाख़ून काटना, शेव और बाल कटवाना निषेद्ध है ।
- तन और मन को शुद्ध रहना है ।
- जितना हो सके भगवान राम का स्मरण करना है ।
- पवन तनय बल पवन सामना । बुद्धि बिबेक बिग्यान निधाना ।।
कवन सो काज कठिन जग माहीं । जो नहीं होई तात तुम्ह पाहीं ।।
उपरोक्त मन्त्र की एक माला 81 दिन तक रोज करनी है ।
श्रीहनुमान दर्शन की अभिलाषा से अनुष्ठान को शुरू करने के दिन सुबह उठकर शौचादि क्रियाएं करके, स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्रों को धारण कर, श्रीहनुमान जी के मंदिर में जाएँ । अब अपने इष्ट श्रीहनुमान जी की मूर्ति को स्वच्छ जल से स्नान कराएँ ।
प्रथम दिन साबुत काली उड़द की दाल का एक दाना श्रीहनुमान जी के सर पर रखकर हाथ जोड़कर ग्यारह बार प्रदक्षिणा करें । उसके बाद श्रीहनुमान जी से अपने मन की कामना उनके सामने रखें और श्रीहनुमान जी के सिर से उड़द के दाने को उठा ले और अपने साथ ले आयें । इसे अपने घर में ईशान या पूर्व दिशा में स्वच्छ जगह या घर के मंदिर में रख दें ।
दुसरे दिन आप उड़द के दो दाने लेकर श्रीहनुमान जी मंदिर जाएँ, पुन: श्रीहनुमान जी स्न्नान कराएँ उनकें सिर के ऊपर वह दो दाने रखकर ग्यारह बार प्रदक्षिणा करें । भगवान के आगे अपनी कामना दोहराएँ और दोनों उड़द के दानों को घर ले आयें । और प्रथम दिन के दाने के साथ उसे रख दें ।
ये प्रकिया 41 दिन तक रोज एक दाना बढ़ाते जाये और निरंतर इसे दोहराते रहें । 42 वें दिन से एक एक उड़द की दाल का दाना कम करतें हुए करना है । जैसे की 41 वें दिन 41 दानें, 42 वें दिन 40 दानें, 43 वें दिन 39 दाने (अवरोही क्रम) में करते जाना है । इस प्रकार 81 वें दिन पहले दिन की तरह हम 1 दाने पर पहुँच जायेंगें । इस 81 दिन के श्रीहनुमान दर्शन अनुष्ठान पूरा होने पर भगवान श्रीराम और श्रीहनुमान जी को यादकर सोने से उस दिन रात को निद्रा में श्रीहनुमान जी स्वप्न में स्वयं दर्शन देकर अनुष्ठान करने वाले की कामना की पूर्ति करते है । इस पूरे अनुष्ठान के दौरान इकठ्ठे हुए उड़द के दानों को नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए ।
।। जय श्रीराम ।। जय हनुमान ।।